खुनी प्यासा - जासूसी दुनिया (इब्ने सफी)
इब्ने सफी के अत्यंत दुर्लभ उपन्यासों में से एक है 'खुनी प्यासा" ! मे यकीन के साथ तो नहीं कहा सकता लेकिन शायद इस उपन्यास को सन १९७० के आसपास रिलीज किया गया था ! जासूसी दुनिया सीरिज का यह २२३ वा उपन्यास है! मेरी दुर्लभ पुस्तकों की लाइब्रेरी में यह उपन्यास जुड़ चुका है जो मेरे लिए जैसे पुस्तक प्रेमी के लिए यक़ीनन बड़ी उपलब्धि है! विनोद- हामिद की जोड़ी एक बार फिर ऐसे मिशन पर होती है जो पुरे शहर में कुछ दिनो से चर्चा का विषय होता है! यह कहानी अत्यंत सनसनीपूर्ण एवं दिलचस्प है! घटनाएं कुछ इस प्रकार होती है की कभी कभी रोयें खड़े हो जाते है! शहर में कई लोगो को किडनैप किया जाता है और उनके शरीर से खून निकाल कर उन्हें वापिस अपने स्थान छोड़ दिया जाता है!
कहानी के पात्रों में निशि, विमला, सूरेना, रेनू, डॉक्टर चरखा, मेजर ढललन, डॉक्टर त्यागी और गोयारिंग प्रमुख पात्र है! यह सारे के सारे आदि से अंत तक सामने आते है! सबको विनोद और हमीद अपराधी समझते है क्योंकि यह सब अपने व्यक्तित्व की हेसियत से अपराधी नजर आते है!
अंत तक पाठक यह तय नहीं कर पाता की असली अपराधी कौन है और इस खून चोरी होने के पीछे क्या षड्यंत्र असल अपराधी द्वारा रचा जा रहा है! लेकिन अपराधी शायद भूल चुके है की उनका पाला इस बार विनोद - हमीद से पड़ा है जिनको आज तक कोई भी अपराधी चकमा नहीं दे पाया है!
इब्ने सफी ने इस कहानी में जिस जुर्म को दिखाया है वह काफी अलग है जिसको अपराधी की अलग प्रकार की कार्यप्रणाली और भी दिलचस्प बना देती है!
यह बात तो मनानी पड़ेगी की विनोद - हमीद का पाला इस बार काफी चालाक अपराधी से पड़ा है! शुरू से अंत तक जकड का रखता हुआ उपन्यास!
धन्यवाद!
इब्ने सफी के अत्यंत दुर्लभ उपन्यासों में से एक है 'खुनी प्यासा" ! मे यकीन के साथ तो नहीं कहा सकता लेकिन शायद इस उपन्यास को सन १९७० के आसपास रिलीज किया गया था ! जासूसी दुनिया सीरिज का यह २२३ वा उपन्यास है! मेरी दुर्लभ पुस्तकों की लाइब्रेरी में यह उपन्यास जुड़ चुका है जो मेरे लिए जैसे पुस्तक प्रेमी के लिए यक़ीनन बड़ी उपलब्धि है! विनोद- हामिद की जोड़ी एक बार फिर ऐसे मिशन पर होती है जो पुरे शहर में कुछ दिनो से चर्चा का विषय होता है! यह कहानी अत्यंत सनसनीपूर्ण एवं दिलचस्प है! घटनाएं कुछ इस प्रकार होती है की कभी कभी रोयें खड़े हो जाते है! शहर में कई लोगो को किडनैप किया जाता है और उनके शरीर से खून निकाल कर उन्हें वापिस अपने स्थान छोड़ दिया जाता है!
कहानी के पात्रों में निशि, विमला, सूरेना, रेनू, डॉक्टर चरखा, मेजर ढललन, डॉक्टर त्यागी और गोयारिंग प्रमुख पात्र है! यह सारे के सारे आदि से अंत तक सामने आते है! सबको विनोद और हमीद अपराधी समझते है क्योंकि यह सब अपने व्यक्तित्व की हेसियत से अपराधी नजर आते है!
अंत तक पाठक यह तय नहीं कर पाता की असली अपराधी कौन है और इस खून चोरी होने के पीछे क्या षड्यंत्र असल अपराधी द्वारा रचा जा रहा है! लेकिन अपराधी शायद भूल चुके है की उनका पाला इस बार विनोद - हमीद से पड़ा है जिनको आज तक कोई भी अपराधी चकमा नहीं दे पाया है!
इब्ने सफी ने इस कहानी में जिस जुर्म को दिखाया है वह काफी अलग है जिसको अपराधी की अलग प्रकार की कार्यप्रणाली और भी दिलचस्प बना देती है!
यह बात तो मनानी पड़ेगी की विनोद - हमीद का पाला इस बार काफी चालाक अपराधी से पड़ा है! शुरू से अंत तक जकड का रखता हुआ उपन्यास!
धन्यवाद!